
यह सुस्थापित न्यायिक कानून है कि एक तदर्थ या संविदा कर्मचारी को दूसरे तदर्थ या संविदा कर्मचारी की नियुक्ति करने के लिए नहीं हटाया जा सकता। इस सम्बन्ध में उच्चतम न्यायलय तथा उच्च न्यायालयों के बहुतायत से निर्णय उपलब्द्ध हैं। इस तरह के कर्मचारियों को सेवा में रहने का तब तक अधिकार है जब तक उस पद पर नियमित नियुक्ति नहीं हो जाती।
1 टिप्पणी:
Anek shubhkamnayen!
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