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बिस्व भरण पोषण कर जोई ।
ताकर नाम भरत अस होई॥
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प्रभु आयसु जेहि कंह जस अहई ।
सो तेहि भांति रहे सुख लहई ॥
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गुरुवार, 8 अक्टूबर 2009
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